Gupt administration (गुप्त साम्राज्य भाग 2) तथ्य पूर्ण सार
Gupt administration (तथ्य पूर्ण सार)
- कुषाण साम्राज्य के अवशेषों पर गुप्त साम्राज्य का उदय हुआ। शायद यह लोग कुषाणो के सामंत थे।
- श्री गुप्त का उल्लेख प्रभावती गुप्त के पुणे स्थित ताम्रपत्र अभिलेख में गुप्त वंश के आदिराज के रूप में हुआ है ।
- घटोत्कच इसने महाराज की उपाधि धारण की। इसे गुप्त वंश का प्रथम राजा बताया गया है।
- चंद्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवी कुल की कन्याकुमार देवी से विवाह किया इसने गुप्त संवत चलाया था।
- समुद्रगुप्त के दरबार में प्रसिद्ध कवि हरिषेण रहता था। जिसने इलाहाबाद के प्रशस्ति समुद्रगुप्त की विजयो वर्णन किया है।
- समुद्रगुप्त के सिक्कों पर अश्वघोष पराक्रम खुदा है उस पर उसे वीणा वादन करते हुए दिखाया गया है।
- स्मिथ ने समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहां है।
- चंद्रगुप्त द्वितीय सर्वाधिक योग्य शौर्य से संपन्न शासक था। इसने उज्जैन को अपनी दूसरी राजधानी बनाया था।
- चीनी यात्री फाह्यान चंद्रगुप्त द्वितीय के काल में भारत आया था।
- चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में कालिदास या अमर सिंह जैसे विद्वान रहते थे।
- शकों को पराजित करने की स्मृति में चंद्रगुप्त द्वितीय ने चांदी के सिक्के जारी किए थे।
- कुमारगुप्त महिंद्रा आदित्य चंद्रगुप्त का दूसरा पुत्र था जिसने बड़ी संख्याओं में मुद्राएं जारी करवाई थी। कुमारगुप्त की 663 मुद्राएं बयाना से मिली है इनमें मैसूर शैली की विशेष मुद्राएं प्राप्त हुई है।
- नालंदा विश्वविद्यालय का संस्थापक कुमारगुप्त ही था। किसी काल से गुप्त साम्राज्य के विघटन के संकेत मिलने लगते हैं।
गिरनार पर्वत पर स्थित सुदर्शन झील का स्कंद गुप्त ने जीर्णोद्धार करवाया था।
गुप्तकालीन प्रशासन
- गुप्त प्रशासन राजतंत्रात्मक व्यवस्था पर आधारित था, राजपद वंशानुगत सिद्धांत पर आधारित था, युवराज के रूप में राजा का बड़ा पुत्र उत्तराधिकारी होता था।
- गुप्त साम्राज्य में सर्वाध्यक्ष -सभी केंद्रीय विभागों का प्रमुख हुआ करता था।
- महा प्रतिहार-सम्राट से मिलने वालों को आज्ञा पत्र देने का जो कार्य करता था वहां महा प्रतिहार कहलाता था।
- महा सेनापति- सेना का सर्वोच्च अधिकारी महा सेनापति कहलाता था।
- महापीलुपति- हाथियों की सेना का प्रमुख कहलाता था।
गुप्तकालीन शब्दावली
- पुग -नगर में निवास करने वाली विभिन्न जातियों की एक समिति।
- भुकति - गुप्तकालीन प्रांतों का नाम।
- विषय-गुप्तकालीन जनपद।
- महत्रर- ग्राम सभा का सदस्य।
- भाग- भूमि कर 1/6
- क्षेत्र भूमि- खेती के योग्य भूमि।
- वास्तु भूमि- निवास करने योग्य भूमि।
- सील- ऐसी भूमि जो जोतने योग्य नहीं होती।
- अप्रहत -जंगली भूमि।
- श्रेणी- व्यवसायिक शिल्पो का संगठन ।
- जेष्ठक -श्रेणियों के मुखिया ।
- निगम-व्यापारिक समितियां।
- श्रेस्ठि - निगम का प्रधान।
- दिनार- गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्राएं।
- चारागाह-चारा योग्य भूमि।
गुप्तकालीन भूमि का विवरण
अमर सिंह ने अमरकोश में 12 प्रकार की भूमि का उल्लेख किया है जो गुप्त काल में प्रसिद्ध थी।
उर्वरा, ऊसर, मरू, अपृहत, सद्वल, पंकिल, कच्छ, शर्करा, नदीमातक, देवमात्रक।
आदि महत्वपूर्ण भूमिया गुप्त काल में प्रसिद्ध थी।
गुप्तकालीन महत्वपूर्ण मंदिर
- शिव मंदिर- नागोद, भूमरा (मध्य प्रदेश)
- भीतरगांव का मंदिर- भीतरगांव
- विश्व मंदिर- तिगवा (जबलपुर मध्य प्रदेश)
- पार्वती मंदिर- नचना कुठार (मध्य प्रदेश)
- दशावतार मंदिर-देवगढ़ (झांसी उत्तर प्रदेश)
- शिव मंदिर-खोहर नागौद (मध्य प्रदेश)
गुप्तकालीन नाटक और नाटककार
- मालविकाग्निमित्रम्- कालिदास
- विक्रमोवशीयम - कालिदास
- अभिज्ञान शाकुंतलम्-कालिदास
- मुद्राराक्षस- विशाखदत्त
- देवीचंद्रगुप्तम- विशाखदत्त
- मृच्छकटिकम् -शुद्रक
- स्वप्नवासवदत्म -भास
- प्रतिज्ञायौगन्ध रामायण -भास
गुप्तकालीन ऐतिहासिक शब्दावली
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