Summary of the medieval period India in Hindi (मध्यकालीन भारत विशेष)part 1

      Summary of the mediaeval period India in Hindi(गाथा मध्यकालीन भारत की (भाग 1 ) 

                   

Important thoughts middle history in India (Hindi)

  1. कन्नौज पर अधिपत्य करने के उद्देश्य से त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लेने वाली महत्वपूर्ण शक्तियां थी, गुर्जर प्रतिहार, पाल एवं राष्ट्रकूट।

  2. त्रिपक्षीय संघर्ष की शुरुआत प्रतिहार नरेश वत्सराज ने की थी।

  3. प्रतिहार शासक भोज ने भोजपुर नगर एवं फौजदार तालाब का निर्माण करवाया। इसने कविराज नाम की उपाधि धारण की थी।

  4. 1178 में आबू पर्वत के निकट चालुक्य शासक मूलराज द्वितीय ने मोहम्मद गौरी को पराजित किया।

  5. हिंदू शाही शासक जयपाल के समय लगभग 1001 ईस्वी में महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण किया।

  6. महिपाल को पाल वंश का द्वितीय संस्थापक माना जाता है।
  7. विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना पाल नरेश धर्मपाल ने की। इसने "परम संगत"की उपाधि धारण की ।
  8. गुजरात के चालुक्य वंश के"भीम प्रथम"के शासनकाल में लगभग 1025 ईस्वी में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया ।
  9. कश्मीर में तीन राजवंशों।  कार्कीट, उत्पल एवं लोहार वंश ने शासन किया।
  10. कार्कीट वंश के दो नरेश ललिता-दित्य, मुक्तापीड एवं जयापीड विनयादित्य सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक थे।

  • ललितादित्य ने कश्मीर में प्रसिद्ध मार्तंड (सूर्य) मंदिर के अतिरिक्त भूतेश के शिव मंदिर एवं परिहास केशव के विष्णु मंदिर का निर्माण करवाएं।

  • Karkit वंश का अंतिम महान शासक विनयादित्य जयापीड था, उसने नेपाल पर विजय प्राप्त की थी।
  • उत्पल वंश का प्रथम महत्वपूर्ण शासक अवंती वर्मन था, जिसने अपने योग्य मंत्री सूर के साथ शासन किया।
  • अवंती वर्मन ने सूय्यापुर (आधुनिक सोपर) नामक नगर की स्थापना की ।
  • रत्नाकर और आनंद वर्धन जैसे कवियों ने अवंती वर्धन के दरबार की शोभा बढ़ाई थी।
  • सुगंधा नामक महिला कश्मीर के उत्पल वंश की शासिका थी।
  • लोहार वंश का प्रथम शासक " यशष्कर" था।
  • रानी दिद्दा ने लोहार संबंधियों के साथ मिलकर एक महिला शासन तंत्र की स्थापना की।
  • कश्मीर के लोहार वंश के शासक हर्ष को कश्मीर का नीरो कहा गया है।
  • कश्मीर के शासक हर्ष की मृत्यु के बाद" उच्चल"ने 1101 ईस्वी में द्वितीय लोहार वंश की स्थापना की।
  • कुछ समय के लिए एक तिब्बती सरदार रिन्चान कश्मीर का शासक था पर 1323 में उसकी हत्या के बाद कश्मीर मुस्लिम शासन के अंतर्गत आ गया।
  • कायस्थों का सर्वप्रथम वर्णन"याज्ञवल्क्य स्मृति"मैं मिलता है लेकिन जाति के रूप में पहला वर्णन  ओशनम स्मृति में मिलता है।
  • राजा भोज जिसे मिहिरभोज भी कहा जाता है और जिसने आदीवारा की पदवी ग्रहण की थी वह प्रतिहार वंश का शासक था।
  • 800 से 1200 ई.के काल में सामंतो एवं सरदारों को कर मुक्त भूमि देने की प्रथा आम हो गई जिससे राजा की शक्ति में निरंतर हाथ होता चला गया। इस प्रथा का प्रारंभ हर्ष के शासन काल से माना जाता है।
  • अरब व्यापारी सुलेमान ने पाल वंश को"रोहमा"कह कर पुकारा है।
  • विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना धर्मपाल के द्वारा की गई थी।
  • गौधवाहों कविता के कवि वाकपति राज यशोवर्धन के दरबार में था।







  • महान संस्कृत कवि और नाटककार राजशेखर"महिपाल का दरबारी कवि था।

  • एलोरा के शिव का प्रसिद्ध गुहा मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट शासक " अमोधवरमन"किया था।
  • कृष्ण तृतीय राष्ट्रकूट शासक ने सकल दक्षिण दिशा दी पति की उपाधि धारण की थी।
  • चोल साम्राज्य की स्थापना विद्यालय ने पल्लव साम्राज्य के अवशेष पर की थी।
  • राजेंद्र प्रथम जोकि चोल शासक था इसके द्वारा संपूर्ण श्री लंका पर अधिकार किया गया था जिसने शैलेंद्र शासकों के विरुद्ध सफल नौसैनिक अभियान किया था और साथ ही साथ जिसे गंगाई कोंड चोल पुरम नामक नगर का निर्माण भी करवाया था।
  • मंदिर निर्माण और उसकी स्थापत्य कला के कारण चोल शासक इतिहास में अपनी विशिष्टता को बनाए हुए हैं।
  • चोरों के ग्राम स्वशासन में दो प्रमुख समितियां थी, जो उर तथा सभा अथवा महासभा के नाम से जानी जाती थी। और ग्रामों की सामान्य समिति थी जबकि महासभा का विशेष महत्व था एवं इसके सदस्य ब्राह्मण तथा गांव के प्रतिष्ठित लोग ही हो सकते थे। इस विशेष महत्व की समिति के सदस्य को अग्रहार कहां जाता था।
  • द्रविड़ शैली की विशेषताएं प्रमुख रूप से गर्भगृह, विमान, मंडप, गोपुरम होता था, तथा इसी गोपुरम को प्रतिमा कक्ष भी कहा जाता था।
  • द्रविड़ शैली का उत्कृष्ट उदाहरण तंजाबूर का बृहदेश्वर मंदिर है।
  • नैना रेवलवार संतों की रचनाओं के संग्रह को तिरु मुराई कहते हैं यह इतना पवित्र माना जाता है कि इसे पंचम वद के नाम से भी जाना जाता है।
  • नल दमयंती की प्रणय कथा पर आधारित तमिल रचना नल बेंबा के रचयिता पुगलेंडी है।
  • भुवनेश्वर (उड़ीसा) के मंदिर नागर शैली के प्रमाण है।
      


           भारत पर अरब आक्रमण  


  • भारत पर सर्वप्रथम अरबो 636 ईसवी में मुंबई के निकट थाना को जीतने के लिए खलीफा उम्र के समय में सबसे पहला असफल आक्रमण किया था जो भारतीय इतिहास में अरबों के प्रथम आक्रमण के रूप में जाना जाता है।

  • 636 ईसवी के पश्चात भडौंच , सिंध की देवल खाड़ी तथा मकराना पर आक्रमण होते रहे, जहां अरब आक्रमण प्रमुख अपने अधिकार को प्रस्तुत करने में अक्षम रहे ।
  • आठवीं शताब्दी के प्रथम दशक में इब्न अल हरिहल विहटृरी ने मकराना पर आक्रमण कर अस्थाई कब्जा कर लिया इसके बाद सिंध की विजय के द्वार प्रशस्त किया।
  • ईरान के शासक हज्जाज ने सिंध के शासक दाहिर को दंडित करने के लिए प्रथम दो सेनापति उबैदुल्लाह तथा बुधेल को भेजा था।
  • हज्जाज के इन दोनों सेनापतियों को क्रमशः दाहिर और उसके पुत्र जय सिंह ने परास्त करके मार डाला इसके बाद अल हज्जाज के दामाद एवं भतीजे मोहम्मद बिन कासिम का प्रयत्न सफल रहा।
 मोहम्मद बिन कासिम विशेष 
  • भारत पर मुस्लिम आक्रमण का सूत्रधार मोहम्मद बिन कासिम को माना जाता है आइए देखते हैं मोहम्मद बिन कासिम से संबंधित अति महत्वपूर्ण तथ्य जो इतिहास जानने के स्वरूप में एक नई दिशा प्रदान करेंगे।

  • भारत पर प्रथम मुस्लिम आक्रमण अरब आक्रांता मोहम्मद बिन कासिम ने 711 से 712 ईसवी में किया था।
  • मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर विजय 712 इसमें पाई।
  • अरबों की सिंध विजय की जानकारी"चचनामा"से प्राप्त होती है।
  • सिंध पर आक्रमण का आदेश अरब के सूबेदार अल हज्जाज ने दिया था।
  • सिंध पर आक्रमण के समय वहां का शासक दाहिर था। दाहिर के पिता का नाम चच था।
  • अरब वासियों के भारत पर आक्रमण करने का मुख्य कारण भारत की अपार संपदा को लूटना तथा अपने इस्लाम धर्म का प्रमुख रूप से प्रचार प्रसार करना था।
  • अरब आक्रमणकारी"बोलन दर्रे"के रास्ते से भारत में दाखिल हुए थे ।
  • मोहम्मद बिन कासिम ने जुनैद को सिंध का राज्यपाल नियुक्त किया था।
  • जुनेद जो मोहम्मद बिन कासिम का राज्यपाल था उसे प्रतिहार शासक नागभट्ट ने पराजित किया था
  • भारत में जजिया कर की वसूली की शुरुआत मोहम्मद बिन कासिम से ही मानी जाती थी।
  • भारत पर अरब आक्रमण से भविष्य में भारत पर आक्रमण करने वालों का मार्ग प्रशस्त हो चुका था।
  • अरब आक्रमणकारियों के द्वारा ही सिंध में  ऊंट पालन और खजूर की खेती का प्रचलन किया।
  • अरबों के द्वारा ही"दिरहम"नामक सिक्के का सिंध में प्रचलन करवाया गया ।


 महमूद गजनवी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य 


  • गजनी साम्राज्य की स्थापना अलप्तगीन नामक तुर्क सरदार ने की थी। सुबुक्तगीन अलप्तगीन का गुलाम एवं दामाद था।सुबुक्तगीन गजनी कीी राजगद्दी 977 ईसवी में बैठा तथा इसी काा उत्तराधिकारी महमूद गजनवी हुआ।


  • महमूद गजनवी को राजगद्दी के लिए अपने भाई इस्माइल से संघर्ष करना पड़ा।
  • महमूद गजनवी 998  में गद्दी पर बैठा था। महमूद गजनवी बगदाद के खलीफा कादिर से सुल्तान पद की मान्यता प्राप्त की थी।
  • महमूद गजनवी ने 1000 ईस्वी से 1028 ईसवी तक भारत पर 17 बार आक्रमण किए थे।
  •  महमूद गजनवी के प्रसिद्ध 17 आक्रमण 


    महमूद गजनवी ने भारत पर प्रसिद्ध 17 बार आक्रमण किए जिनका तिथि वार वर्णन इस प्रकार से है।
    1. महमूद गजनवी ने अपना प्रथम आक्रमण 1000 ईस्वी में पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्र पर किया उस समय वहां का राजा हिंदू शासक जयपाल था।

    2. महमूद गजनवी का दूसरा आक्रमण 1001 ईस्वी में  हिंदू शासक जयपाल पर ही था।
    3. महमूद गजनवी का तीसरा आक्रमण 1005 ईस्वी में भटिंडा पर था जहां का शासक विजय राय था।
    4. महमूद गजनवी का चौथा आक्रमण 1006में मुल्तान राज्य पर था जहां का शासक दाऊद करमाथी था।
    5. महमूद गजनवी का पांचवा आक्रमण 1007 से 1008 ईस्वी में मुल्तान राज्य के शासक सुखपाल पर था ।
    6. महमूद गजनवी का छठवां आक्रमण 1008 से 1009 ईस्वी में पेशावर के शासक आनंदपाल पर था।
    7. महमूद गजनवी का सातवां आक्रमण 1009 ईस्वी में अलवर राज्य पर हुआ था ।
    8. महमूद गजनवी का आठवां आक्रमण 1010 ईस्वी में मुल्तान पर हुआ था जहां का शासक सुखपाल था।
    9. महमूद गजनवी का 9 वा आक्रमण 1013 से 1014 ईसवी में थानेश्वर पर हुआ था जहां का शासक राजाराम था।
    10. महमूद गजनवी का प्रसिद्ध दसवा आक्रमण 1014 ईस्वी में नंदन राज्य पर हुआ था जहां का शासक त्रिलोचन पाल था।
    11. महमूद गजनवी का 11 वा आक्रमण 1015 से 1016 ईस्वी में कश्मीर राज्य पर हुआ था जहां का शासक संग्राम लोहार सिंह था।
    12. महमूद गजनवी का प्रसिद्ध बारवा आक्रमण मथुरा और कन्नौज राज्य पर 1018 से 1019 ईस्वी में हुआ था जहां का शासन प्रतिहार राज्यपाल संभाल रहा था।
    13. महमूद गजनवी का 13 आक्रमण 1019 ईस्वी में गंड चंदेल एवं त्रिलोचन पाल शासकों पर कालिंजर राज्य में हुआ था।
    14. महमूद गजनवी का 14 आक्रमण कश्मीर राज्यपाल 1021 ईस्वी में हुआ था जहां पर एक महिला शासिका थी।
    15. महमूद गजनवी का 15 वा आक्रमण ग्वालियर व कालिंजर पर हुआ जिसक समयावधि 1022 इसवी थी तथा वहां का शासक गढ़ चंदेल था।
    16. महमूद गजनवी का प्रसिद्ध सोलवा आक्रमण सोमनाथ पर हुआ जिसका समय 1025 से 1026 ईसवी था, महमूद गजनवी का यह विश्व प्रसिद्ध आक्रमण  जिसमें गजनवी ने प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर को लूट कर उसे अस्त-व्यस्त कर दिया था महमूद गजनवी के इस आक्रमण के समय वहां का शासक भीमदेव प्रथम था।
    महमूद गजनवी का 17 वां आक्रमण 1027 ईस्वी में सिंध के जाटों पर हुआ था।
    इस प्रकार से महमूद गजनवी ने भारत पर आक्रमण करके भारत की अपार संपदा को लूट कर भारत पर मुस्लिम साम्राज्य की अमिट छाप छोड़ी।
    इस लेख के माध्यम से मध्यकालीन भारत की प्रारंभिक अवस्था को प्रदर्शित किया गया है जो कि भाग-1 है अगले अंक में भाग 2 के माध्यम से मध्यकालीन इतिहास की तथ्य पूर्ण जानकारी पुनः प्रस्तुत की जावेगी।,,,














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