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Showing posts from April, 2020

Jain dharm जैन धर्म

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                      जैन धर्म Jain dharm     जैन धर्म का अवतरण -  छठी शताब्दी ईसा पूर्व का भारतीय इतिहास में महत्व इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि छठी शताब्दी में वैदिक धर्म के विरुद्ध जो आंदोलन छेड़े गए, उसके फल स्वरूप भारत में जो नई धार्मिक क्रांति आई उनमें से जैन धर्म अपना अति महत्वपूर्ण स्थान रखता है।           वर्धमान महावीर का जन्म 540 ईसा पूर्व में वैशाली के पास किसी गांव में हुआ। वैशाली की पहचान उत्तर बिहार में इसी नाम से नव स्थापित जिले के बसाढ से की गई है।उनके पिता सिद्धार्थ ए क्षत्रिय कुल के प्रधान थे। उनकी माता का नाम त्रिशाला था जो बिंबिसार के ससुर लिच्छवी नरेश चेतक की बहन थी।इस प्रकार महावीर के परिवार का संबंध मगध के राजपरिवार से था उच्च फूलों से संबंध के कारण अपने धर्म प्रचार के क्रम में उन्हें राजा और राज सचिवों के साथ संपर्क करना आसान हुआ।               महावीर स्वामी से जुड़ी मुख्य बातें   सिद्धार्थ - महावीर स्वामी के पिता का नाम। त्रिशला - महावीर स्वामी की माता का नाम। यशोदा - महावीर स्वामी की पत्नी। प्रियादार्शना - महावीर स्वामी की पुत्री। जामाल

Baudh dharm बौद्ध धर्म

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                          बौद्ध धर्म                                            इतिहास में छठवीं शताब्दी धर्म सुधार आंदोलन के लिए प्रसिद्ध है, वास्तव में यह का हाल महान दार्शनिकों के विचारों का काल था। इसी काल में भारत में दो नए प्रबल धर्म सामने आए जिनमें प्रथम बौद्ध धर्म तथा दूसरा जैन धर्म, इन दोनों धर्मों के सामने आने का कारण वैदिक सनातन धर्म में अनेक खामियों के कारण बौद्ध धर्म और जन धर्म के रूप में सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आंदोलन का भारत की धरा पर आगाज हुआ।                                                                 गौतम बुद्ध का जीवन।   गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के समीप लुंबिनी ग्राम में हुआ था। गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था, सिद्धार्थ के पिता शुद्धोधन कपिलवस्तु के सांप के गण के प्रधान थे। उनकी माता का नाम महामाया था, सिद्धार्थ के जन्म के समय ही ज्योतिषियों ने यह भविष्यवाणी की थी कि यह बालक एक चक्रवर्ती राजा या महान सन्यासी बनेगा। सिद्धार्थ के जन्म के 1 सप्ताह के अंदर ही उसकी माता की मृत्यु हो गई, तब बालक सिद्धार्

Vaidik vivah वैदिक कालीन विवाह संस्कार

        वैदिक विवाह के प्रकार।                                      वैदिक कालीन सभ्यता में, विवाह संस्कार का अति महत्वपूर्ण स्थान है जिसमें वर वधु परिणय सूत्र में बंध कर इस संस्कार को निभाते हैं।                                    विवाह का अर्थ-  विवाह शब्द का अर्थ "व्युत्पत्ति"की दृष्टि से ले जाना होता है। विवाह का अर्थ है वधु को उसके पिता के घर से विशेष रूप से ले जाना अथवा पत्नी बनाने के लिए ले जाना। हमारे साहित्य में अनेक ऐसे शब्द में मिलते हैं जो विवाह को स्पष्ट करते हैं जिसमें परिणय, उपयम , आदि। परिणय का अर्थ है चारों ओर घूमना, विवाह संस्कार में एक रस्म होती है जिसमें वर और वधु को अग्नि की परिक्रमा करके संकल्पित होना पड़ता है यही परिणय कहलाता है। विवाह संस्कार के माध्यम से हिंदू धर्म में इसका उद्देश्य पति और पत्नी के सहयोग से विभिन्न पुरुषार्थ को पूरा करना होता है। वैदिक संस्कारों में उस समय प्रचलित प्रमुख विवाह को हम अपने लेख के माध्यम से प्रस्तुत कर रहे हैं।                                                              1-ब्रह्म विवाह-  वैदिक संस्कारों के अंतर्गत विवाह

Vaidik sanskar वैदिक संस्कार एवं उनकी विधियां

            वैदिक संस्कार एवं उनकी विधियां वैदिक साहित्य में वैदिक संस्कृति के अनुसार संपूर्ण जीवन काल में एक मानव का संस्कारों से के साथ चलना अति उत्तम माना गया है मनुष्य के जन्म से लेकर उसके मृत्यु तक इन संस्कारों की बहुत अधिक महत्ता है, हम आज इस लेख के माध्यम से वैदिक सभ्यता के उन सभी 16 संस्कारों का उल्लेख करेंगे जो वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय तक किसी न किसी प्रकार से मानव जाति में अपना उचित महत्व रखते हैं।                                                                  1-गर्भाधान संस्कार-  मानव जीवन में गर्भाधान संस्कार  का अति महत्वपूर्ण स्थान है, मानव जाति के विकास के लिए, वंश की परंपरा के लिए, नई पीढ़ी के आगाज के लिए, गर्भाधान संस्कार किया जाता है, जिसके अंतर्गत संतान उत्पन्न करने हेतु पुरुष एवं स्त्री द्वारा की जाने वाली क्रिया ही गर्भाधान संस्कार होता है जिसके माध्यम से किसी महिला में एक नए जीव की उत्पत्ति होती है वैदिक संस्कारों में गर्भाधान संस्कार सबसे प्रथम संस्कार माना जाता है।                            2-पुंसवन संस्कार- वैदिक संस्कारों में गर्भाधान संस्कार के पश्

History basic thoughts भारतीय इतिहास से जुड़ी बुनियादी बातें

 History basic thoughts भारतीय इतिहास के बुनियादी तथ्य-भारतीय इतिहास एक विस्तृत पाठ्य स्रोत है, जिसका किताबों के माध्यम से अध्ययन करना वर्तमान समय में बहुत ही मुश्किल कार्य है, आज के इस रफ्तार भरे जीवन में हम सभी पाठ्य उपयोगी सामग्री को सरल रूप से प्राप्त करना चाहते हैं, इसी संदर्भ में हमने भारतीय इतिहास के समूचे ऐसे तथ्य जो प्रतियोगी परीक्षाएं, तथा अपने स्वयं के ज्ञान को बढ़ाने के लिए अति उपयोगी साबित होगी, इस लेख के माध्यम से हम भारतीय सभ्यता बहुत नजदीक से देख पाएंगे, इस सीरीज में हमारी पूर्ण कोशिश होगी की भारतीय इतिहास से जुड़ा कोई भी तथ्य आपसे छूट न पाए।                                                       सिंधु घाटी सभ्यता(Sindhu ghati sabhyata) अति महत्वपूर्ण तथ्य।                                                      1-सिंधु सभ्यता का का उदय भारत के पश्चिमोत्तर भाग में हुआ। इसका नाम हड़प्पा संस्कृति पड़ा क्योंकि इसका सर्वप्रथम ज्ञान पाकिस्तान के पश्चिमी पंजाब प्रांत में स्थित हड़प्पा से हुआ हुआ।                             2-सिंधु सभ्यता में प्राप्त परिपक्व अवस्था वाले स्थलों

प्राचीन भारतीय इतिहास का महत्व historyindia4.blogspot.com

  प्राचीन भारत के इतिहास की उपयोगिता                               प्राचीन भारत के इतिहास का मंथन कई दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इससे हम जानते हैं कि मानव समुदाय ने हमारे देश में प्राचीन संस्कृतियों का विकास कब, कहां और कैसे किया।इससे पता चलता है कि उन्होंने कृषि की शुरुआत कैसे की जिससे कि मानव का जीवन सुरक्षित और स्थिर हुआ।इससे यह ज्ञात होता है कि प्राचीन भारत के मानव ने किस तरह से प्राकृतिक संपदा ओं की खोज की और उनका उपयोग किया, तथा किस प्रकार उन्होंने अपनी जीविका के साधनों की खोज की। हम यह भी जान पाते हैं कि उन्होंने फसल उत्पादन, कताई, बुनाई, धातु कर्म आदि की शुरुआत कैसे की, कैसे जंगलों की सफाई की और कैसे ग्रामों नगरों तथा राज्यों की स्थापना की।                                                                                    कोई समुदाय तब तक सभ्य नहीं समझा जाता है जब तक वह लिखना न जानता हो।आज भारत में जो विभिन्न प्रकार की लिपिया प्रचलन में है उन सबका विकास प्राचीन लिपियों से हुआ हमारी आज की भाषाओं का भी वही हाल है। हमारी वर्तमान भाषाओं की जड़े अतीत में है और वह कई युगों में विकसित